हेलो, दोस्तों आप सभी का स्वागत है | आज के इस आर्टिकल "Supta Vajrasana कैसे करें? इसके फायदे? | Supta Vajrasana Steps and Benefits in Hindi | How to do Supta Vajrasana yoga" में हम आपसे Vajrasana से संबंधित कुछ चीजें शेयर करने वाले हैं | जैसे कि Supta Vajrasana कैसे करते हैं? Supta Vajrasana क्या है? Supta Vajrasana से होने वाले Benifits और इसमें बरती जाने वाली सावधानी क्या-क्या है | तो चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से सब कुछ जानते हैं |
ध्यान विशुद्धाख्या चक्र में | श्वास दीर्घ, सामान्य
Supta Vajrasana क्या है? - What is Supta Vajrasana yoga in Hindi.
आपने पिछले पोस्ट में वज्रासन (Vajrasana) के बारे में पढ़ा होगा अगर नहीं पढ़ा है तो उसे देख लीजिये क्योकि सुप्त वज्रासन (Supta Vajrasana) कुछ कुछ वज्रासन का ही बना हुआ है |ध्यान विशुद्धाख्या चक्र में | श्वास दीर्घ, सामान्य
Read also - Halasana Benifits and Steps in Hindi.
सुप्त वज्रासन करने की विधि (Supta Vajrasana yoga karne ki vidhi) - How to do Supta Vajrasana yoga.
- वज्रासन (Vajrasana) में बैठने के बाद चित्त होकर पीछे की और भूमि पर लेट जाये |
- दोनों जंघाए परस्पर मिलीं रहे |
- अब रेचक (श्वास छोड़ना) करते करते बायें हाथ का खुला पंजा दाहिने कंधे के नीचे और दाहिने हाथ का खुला पंजा बायें कंधे के नीचे इस प्रकार रखें की मस्तक दोनों हाथ के क्रास के ऊपर आ जाये |
- रेचक पूरा होने पर त्रिबंध करें |
- दृष्टि मूलाधार चक्र की दिशा में और चित्तवृत्ति मूलाधार चक्र में स्थापित करें |
सुप्त वज्रासन के लाभ (Vajrasana yoga ke fayde) Benefits of Vajrasana yoga in Hindi.
- यह Supta Vajrasana करने में श्रम बहुत कम है और लाभ (Benefits) अधिक होता है |
- इसके अभ्यास से सुषुम्ना का मार्ग अत्यंत सरल हो जाता है | कुंडलिनी शक्ति सरलता से ऊर्ध्वगमन क्र सकती है |
- Supta Vajrasana में ध्यान करने से मेरुदंड को सीधा रखने का श्रम नहीं करना पड़ता और मेरुदंड को आराम मिलता है |
- उसकी कार्यशक्ति प्रबल बनती है |
- Supta Vajrasana का अभ्यास करने से प्रायः तमाम अंतः स्त्रावी ग्रंथियों को, जैसे शीर्षस्थ ग्रंथि, कंठस्थ ग्रथि, मूत्रपिंड की ग्रंथि, ऊर्ध्वपिण्ड तथा पुरुषार्थ ग्रंथि आदि को पुष्टि मिलती है |
- फलतः व्यक्ति का भौतिक एवं आध्यातिमक विकास सरल हो जाता है |
- तन-मन का स्वास्थ्य प्रभावशाली बनता है |
- जठराग्नि प्रदीप्त होती है |
- मलावरोध दूर होता है |
- धातुक्षय, स्वप्नदोष, पक्षाघात, पथरी, बहरा होना, तोतला होना, आँखों की दुर्बलता, गले के टांसिल, श्वासनलिका का सूजन, क्षय, दमा, स्मरणशक्ति की दुर्बलता आदि रोग दूर होते है |
Final words - So you can try this Supta Vajrasana Yoga and take benefits by this health article "Supta Vajrasana Steps and Benefits in Hindi | How to do Supta Vajrasana yoga" thank you...
Nice! very Helpful content. 99medic info
ReplyDeleteThank you aapko, for your valuable time for commenting
Delete